Srikanth Bolla Blind CEO


जब वह पैदा हुआ था, गांव के पड़ोसियों ने सुझाव दिया कि उसे मार दे।

यह उन दर्दों से बेहतर था जो उन्हें अपने जीवनकाल के माध्यम से जाना होगा, कुछ ने कहा।

वह आँखों के बिना एक "बेकार" बच्चा है ..दूसरों ने कहा  जन्म से अंधा पाप है,

"दुनिया मुझे देखती है और कहती है, 'श्रीकांत, आप कुछ भी नहीं कर सकते,' मैं दुनिया को वापस देखता हूं और कहता हूं कि 'मैं कुछ भी कर सकता हूं'। "

श्रीकांत, हैदराबाद स्थित बॉलंट इंडस्ट्रीज के सीईओ हैं, जो एक अनौपचारिक विकलांग कर्मचारियों को पर्यावरण के अनुकूल, डिस्पोजेबल उपभोक्ता पैकेजिंग समाधान बनाने के लिए काम करता है, जो कि 50 करोड़ रुपए के बराबर है।

वह खुद को जीवित भाग्यशाली व्यक्ति समझते है, इसलिए नहीं की वह अब एक करोड़पति , बल्कि इसलिए कि उनके अकुशल माता-पिता, जिन्होंने सालाना 20,000 रुपये कमाए थे, ने उन्हें किसी भी 'सलाह' पर ध्यान नहीं दिया और उन्हें प्यार और स्नेह के साथ उठाया।

श्रीकांत कहते हैं, "वे सबसे अमीर लोगों को जानते हैं"

अंडरगॉग सफलता की कहानी

ऐसा क्या है की श्रीकांत अन्य उद्यमियों से अलग है क्योकि वो जन्म से अंधे है, इतना सब होते हुए भी उनके पास जो था वो उनका हौशला, उम्मीद और एक जूनून कुछ करने का कुछ बनने का, जूनून इंसान को बदल देता है।


श्रीकांत के  सफलता की कहानी  दिल  को छूती हैं। सब के बाद, सभी प्रतिकूल चेहरे, वे सपना है, और वे कड़ी मेहनत करते हैं

कुछ लोग समाज के द्वारा बनाये एक सीमा में ही जीते है और मर जाते है कभी उससे बहार निकलने की कोशिश नहीं करते है।  यह एक और मामला है कि कुछ लोग समाज द्वारा निर्धारित सीमाओं की सीमा को पार करते हैं।

श्रीकांत के मामले में, यह उनकी निपुणता है जो कि उनके दुर्भाग्य के अंधेरे बादलों के माध्यम से चमकता है।
वह भी गरीब पैदा हुआ था। और आप जानते हैं कि हमारे जैसे समाज में इसका क्या मतलब है?

कभी कभी स्कूल में उसे परेशान किया जाता था , एकबार तो श्रीकांत को पीछे से किसी ने धक्का  दे दिया और खेलने की अनुमति नहीं थी ।

“स्कूल में कोई भी मेरी मौजूदगी को स्वीकार नहीं करता था। मुझे हमेंशा कक्षा के अंतिम बेंच पर बिठाया जाता था। मुझे PT की कक्षा में शामिल होने की मनाही थी। मेरे जीवन में वह एक ऐसा क्षण था, जब मैं यह सोचता था कि दुनिया का सबसे गरीब बच्चा मैं ही हूं, और वो सिर्फ इसलिए नहीं कि मेरे पास पैसे की कमी थी, बल्कि इसलिए कि मैं अकेला था।”

उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई। उनके जीवन में फैला अंधेरा हर वक्त उनके आड़े आ रहा था।जब 10th के बाद science पढ़ना छह रहे थे लेकिंग उनको एडमिशन नहीं मिल प् रहा था। Science पढ़ने की चाह लिये वो हर स्कूलों की ठोकर खा रहे थे।

कहते है न एक पथ्थर तो तवियत से उछालो यारो। अगर आपने कुछ करने की ठानी है तो उसपे अडिग रहना चाहिए। 
श्रीकांत के इस जिद्द को देखकर एक अध्यापक ने श्रीकांत के लिए कोर्ट में आवेदन किया ताकि श्रीकांत साइंस से पड़े कर सके।  आखिर उन्हें सफलता मिल ही गयी, काफी मेहनत के बाद कोर्ट ने श्रीकांत को साइंस से पड़ने की अनुमति दे ही दी।  लेकिन इसके लिए श्रीकांत को ६ महीने लग गए थे अब समस्या थी पड़े की साइंस की 11 के एग्जाम के लिए उनके पास कुछ महीने ही थे।  टीचर ने उन्हें स्टडी मेटेरियल ऑडियो में दे दिया। इसके बाद श्रीकांत ने कठिन परिश्रम करके एग्जाम दिया और 98 percent marks  मिले। वे साइंस विषय से पड़ने वाले देश के प्राथन स्टूडेंट थे।  यहाँ से हिम्मत बढ़ी और वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संसथान में पढ़ने की ठानी।  

श्रीकांत ने IIT के प्रवेश परिक्षा दी लेकिन सफल नहीं हुए उनका आवेदन ये कह कर ठुकरा दिया की आप दृष्टिहीन है 
कहते है न जहा चाह है वहा राह है।   

उसके बाद श्रीकांत बोला ने आगे के रास्ते को बड़े ध्यान पूर्वक चुना और internet के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास करने लगे कि क्या उनके जैसे लड़कों(blind) के लिए कोई Engineering Programs उपलब्ध हैं?

इसी क्रम में उन्हें मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रवेश मिल ही गया इसी के साथ ही श्रीकांत देश के पहले और MIT के पहले गैर-अमेरिकी ब्लाइंड स्टूंडेंट बने, जिन्होंने MIT से शिक्षा प्राप्त की। यहां 2009 से 2013-14 तक श्रीकांत पढ़े और ग्रैजुएट हुए।

एमआईटी से लंबा अवकाश लेकर अपना करोबार वर्ष 2012 के अंत में कुल आठ लोगों के साथ श्रीकांत ने हैदराबाद में अपनी कंपनी की शुरुआत की। श्रीकांत ने लोगों के खाने-पीने के समान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी का गठन किया। उनकी कंपनी आंध्र प्रदेश, तेलांगना और कर्नाटक में मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के साथ मिल कर प्राकृतिक पत्ती और बेकार कागज को फिर से उपयोग में लाकर पर्यावरण के अनुकूल, disposable packaging का निर्माण करती हैं।

इस कंपनी की शुरुआत श्रीकांत ने 8 लोगों की एक टीम से की, business शुरू करने के लिए उनके पास पूंजी बहुत कम थी। इसमें उनकी टीचर स्वर्णलता ने अपने गहने गिरवी रखकर उन्हें पैसे दिए।

उन्होंने इस कंपनी में सबसे पहले आस-पास के बेरोजगार लोगों को जोड़ा। जिसमें श्रीकांत ने ब्लाइंड लोगों को काम दिया। जब श्रीकांत की कंपनी अच्छी रफ़्तार पकड़ने लगी तो funding की problem आना शुरू हुई।

लेकिन श्रीकांत जिद्दी थे और इससे पीछे हटने वाले नहीं थे, उन्होंने कई फंडिंग कंपनियों से और निजी बैंकों से फंड जुटाकर अपने काम को आगे बढ़ाया और फर्श से अर्श तक का सफर तय किया।

श्रीकांत के साहस को सलाम करते हुए रतन टाटा ने उनकी कंपनी में invest किया है हालांकि रतन टाटा ने यह disclose नहीं किया हैं कि उन्होंने बोला की कंपनी में कितनी पैसा invest किया है।

श्रीकांत की कंपनी के बोर्ड में पीपुल कैपिटल के श्रीनिराजू, डा. रेड्डी लैबोरेटरीज के सतीश रेड्डी और रवि मंथा जैसे बड़े दिग्गज शामिल हैं।


श्रीकांत ने पिछले महीने मुंबई में आईएनके टॉक स्टेज के अपने पहले सार्वजनिक भाषण में कहा, "अलग-अलग लोगों के अलग-अलग होने के कारण जन्म से शुरू होता है।" उनके अनुसार, "करुणा किसी को जीवित रहने के लिए दिखाने का एक तरीका है, जिससे कि किसी को समृद्ध और उन्हें समृद्ध बनाने का मौका मिलता है। धन से पैसे नहीं आते हैं, यह खुशी से आता है।"

"मेरे माता पिता के उद्यमिता मॉडल में, मैं एक विफलता थी। उद्यमिता में, हमारे पास एक दुबला व्यवसाय मॉडल है जहां हम एक उद्यम का मूल्यांकन करते हैं और कहते हैं कि यह कितनी जल्दी विफल हो जाता है।"


पूर्व राष्ट्रपति एपीजे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अपना रोल मॉडल मानने वाले श्रीकांत बोला उनके साथ ‘लीड इंडिया प्रोजेक्ट’ में काम भी कर चुके हैं।

श्रीकांत बोला शतरंज और क्रिकेट जैसे खेलों के भी दृष्टिहीन श्रेणी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं। हाल ही में उन्हें ब्रिटेन के यूथ बिजनेस इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ने बेस्ट सोशल एंटरप्राइजेस ऑफ ग्लोब का अवार्ड दिया है।

श्रीकांत कहते हैं कि जब सारी दुनिया उनसे कहती थी कि वह कुछ नहीं कर सकते तो वह उनसे कहते थे कि वह सब कुछ कर सकते हैं। और आज जिस मुकाम पर श्रीकांत हैं, उन्होंने अपनी इस बात को साकार भी कर दिखाया है।

अगर आपको अपनी जिंदगी की जंग जीतनी है, तो सबसे बुरे समय में धैर्य बनाकर रखने से सफलता जरूर मिलेगी।



Comments

  1. मैंने पहली बार उनकी जीवन यात्रा यहाँ https://www.drilers.com/post/srikanth-bolla-the-blind-man-behind-brighter-future पर पढ़ी, इसने मुझे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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